राजनीतिक परिदृश्य: मोहिनी थिएटर्स के नायक और जनता की नाराजगी
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
किसी सिरहाने में सिमट जाएगी यादें तेरी,
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपनी क़ीमत कोई नहीं रक्खी ,
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
विवश मन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ग़ज़ल _ ज़िंदगी भर सभी से अदावत रही ।
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल