बात
कोई दिन ढले तो बात हो जाये
कोई रात जले तो बात हो जाये
कुछ सिसकते पलों को समेट लूं
कोई फिर मिले तो बात हो जाये
कुछ निकालूँ मन की भड़ास मैं भी
कोई झगड़े जो तो बात हो जाये
तलाश सुकूँ की तुझे भी मुझे भी
कोई दौर चले तो बात हो जाये
अजय मिश्र
कोई दिन ढले तो बात हो जाये
कोई रात जले तो बात हो जाये
कुछ सिसकते पलों को समेट लूं
कोई फिर मिले तो बात हो जाये
कुछ निकालूँ मन की भड़ास मैं भी
कोई झगड़े जो तो बात हो जाये
तलाश सुकूँ की तुझे भी मुझे भी
कोई दौर चले तो बात हो जाये
अजय मिश्र