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7 Oct 2020 · 1 min read

बात ही कुछ और है

परिस्थितियाँ हों विषम
अनुकूलताएं भी हो कम
तब जूझने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
बादल गरजते हो जहाँ
बिजली भीगिरती हो वहाँ
तब भीगने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
जब हारने का आभास हो
और खेलने का प्रयास हो
तब जीतने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
जब ऑंख में आँसू भरे
मुस्कान फिर मुख से झरे
दुख छिपाने के इस हुनर
की बात ही कुछ और है
✍️ सतीश शर्मा ।

Language: Hindi
325 Views
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