बात समझ नादान
महाराज बोला सदा,.कहें आज गद्दार ।
राजनीति का देश में, ये कैसा आधार ।।
दिया नही जब आपने,उचित मान सम्मान ।
होना थै ये लाजमी,… बात समझ नादान ।।
वे चाहें बैठे रहें ,………….या जायें वे लेट !
दुखता है पर और का, पता नही क्यों पेट ।।
रमेश शर्मा