बात
बात बात में बात भींगी
बात बात है काल
बात बात में रात कटी
बात बात बिछी जाल
बात बात है मोहन मंत्र
छन छन बदली चाल
पर नार से बात न कर
छन छन बनती काल
बात बात में फुल मोंगरा
रंग बदलती गुलाब
रात रानी दें सुगन्ध पहरा
संग रखती है नाग
बात बात में बात मानों
जकड़ चलेगा बात
बात रोगी तुम बन बैठोगे
नागिन लगायें घात।।
कवि डां विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग