*बात-बात में बात (दस दोहे)*
बात-बात में बात (दस दोहे)
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(1)
सरपट दौड़ी चल पड़ी, बात-बात में बात
फिर मुद्दे से हट गई, बहकी सारी रात
(2)
जिह्वा को काबू रखो, मुख पर रखो लगाम
बात बतूनी है बहुत, करती काम तमाम
(3)
लिखने की कीमत बड़ी, बातों का क्या मोल
कागज पर जो लिख गया, सदियॉं करतीं तोल
(4)
बातों में बातें छिड़ीं, बात-बात का जोर
बातों की महिमा बड़ी, हुई रात से भोर
(5)
इंची-भर की बात थी, गज-भर फैली चीर
लंबी बातें यों हुईं, सब बातों के वीर
(6)
हल्की बातें कह गए, भारी पद के लोग
इसके पीछे क्या पता, किसका क्या उद्योग
(7)
बात कहॉं से थी शुरू, चली दौड़ घनघोर
बातों का अब देखिए, कोई ओर न छोर
(8)
बातें करिए सोच कर, दीवारों के कान
भेद छुपा अब कब रहा, बातों से पहचान
(9)
पंच सदा बातें करें, समझ-सोचकर धीर
भारी-भरकम चाहिए, शब्द-शब्द गंभीर
(10)
नेता जी सबको पता, होते भाषणबाज
भूलेंगे कल जो कहा, भाषण में है आज
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451