बात-बात पर क्रोध से, बढ़ता मन-संताप।
बात-बात पर क्रोध से, बढ़ता मन-संताप।
वशीभूत प्रतिशोध के, करे अहित नर आप।।
क्षणभर का आवेग यह, देर तलक दे शोक।
भाव प्रबल प्रतिशोध का, किसी तरह भी रोक।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
बात-बात पर क्रोध से, बढ़ता मन-संताप।
वशीभूत प्रतिशोध के, करे अहित नर आप।।
क्षणभर का आवेग यह, देर तलक दे शोक।
भाव प्रबल प्रतिशोध का, किसी तरह भी रोक।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद