बात-बात पर क्यों रोती हो?
? ? ? ?
बात-बात पर क्यों रोती हो?
द्युति प्राण की क्यों खोती हो?
दर्द छुपा कर दिल में रखना,
सजल नयन में क्यों मोती हो?
सुख-दुख तो आना जाना है,
सांस बोझ-सा क्यों ढ़ोती हो?
हिम्मत साहस से जग जीतो,
डर को दिल में क्यों बोती हो?
दर्पण में खुद को देखो तुम,
खफा स्वयं से क्यों होती हो?
? ? ? ? – लक्ष्मी सिंह ? ☺