बात फूलों की
जब करो बात दिल से उसूलों की।
तोड़ना ना इन्हें यह बात फूलों की।
कांटो में भी रहकर खिलते सदा,
फिर न परवाह हैं करते शूलों की।।
जिंदगी में कभी भ्रम को मत पालिए।
काम अच्छे करो फिर ना पछताइए।
पुष्प कोमल सरल नम्र बनकर रहो,
मन नाजुक है उसको ना दुखाइए।।
सीखना है अगर तो सीखो फूलों से।
प्रीत में मिलती सौगात है फूलों से ।
ईस को भी समर्पित है श्रद्धा सुमन,
शहीदों पर नमन सजदा फूलों से ।।
पुष्प इनको कहो या इसे तुम कमल।
चूम शबनम निशा हो जाती सजल।
स्वयं सर्वस्व का कर देते हैं समर्पण,
अब न मसले कोई दिल जाते दहल।।
टूटकर यह सर्वदा ही मुस्कराते रहे।
बिखर कर भी औरों को महकाते रहे।
खिलकर मिट जाना है फितरत यही,
हार हो या जीत हो झूम इठलाते रहे।।