Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2020 · 1 min read

बात दिल की बयान होती है

ग़ज़ल
बात दिल की बयान होती है।
आँखों की भी ज़बान होती है।।

हर क़दम पर ही आज़माती, क्या।
ज़िन्दगी इम्तिहान होती है।।

पंख तो साथ बस निभाते हैं।
हौसलौं में उड़ान होती है।।

जिनकी मंज़िल पे हो नज़र, उनकी।
धूप भी सायबान होती है।।

अपनी मंज़िल गले लगाते ही।
छू सफ़र थकान होती है।।

घोलती है “अनीस” जो खुशबू।
वो ज़बां ज़ाफ़रान होती है।।

– अनीस शाह “अनीस”

1 Like · 2 Comments · 437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"लाल गुलाब"
Dr. Kishan tandon kranti
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
Vindhya Prakash Mishra
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
Manisha Manjari
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
2643.पूर्णिका
2643.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कामयाबी का
कामयाबी का
Dr fauzia Naseem shad
"न टूटो न रुठो"
Yogendra Chaturwedi
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
अनिल "आदर्श"
जीवन में...
जीवन में...
ओंकार मिश्र
— मैं सैनिक हूँ —
— मैं सैनिक हूँ —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
जब कोई रिश्ता निभाती हूँ तो
Dr Manju Saini
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अफवाह एक ऐसा धुआं है को बिना किसी आग के उठता है।
अफवाह एक ऐसा धुआं है को बिना किसी आग के उठता है।
Rj Anand Prajapati
सावन
सावन
Ambika Garg *लाड़ो*
मार्मिक फोटो
मार्मिक फोटो
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
पूर्वार्थ
■ #गीत :-
■ #गीत :-
*प्रणय प्रभात*
भाई बहिन के त्यौहार का प्रतीक है भाईदूज
भाई बहिन के त्यौहार का प्रतीक है भाईदूज
gurudeenverma198
मन में रखिए हौसला,
मन में रखिए हौसला,
Kaushal Kishor Bhatt
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
🇮🇳🇮🇳*
🇮🇳🇮🇳*"तिरंगा झंडा"* 🇮🇳🇮🇳
Shashi kala vyas
Loading...