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19 Jun 2020 · 1 min read

बात क्या है

क्यों अंधेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?

आज की डूबी किरण कल आयेगी
रोशनी फिर से जहां पर छायेगी
ये हवा नव गीत फिर से गायेगी
मुदित बदली नीर मृदु बरसाएगी

भ्रमों के फेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?

घोंसलों से परे एक संसार देखो
स्वप्न उन्मुक्तता के हजार देखो
सजल नेत्रों की करुण पुकार देखो
प्राणियों की आत्मा का प्यार देखो

गमों के डेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?

चल रहा जग फिर भी तुम ठहरे हुए
विकलता के भाव चिर गहरे हुए
खुदी पर खुद के घने पहरे हुए
जबकि मौसम और सुनहरे हुए

जीर्ण बसेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?

1 Like · 1 Comment · 442 Views
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