बात क्या है
क्यों अंधेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?
आज की डूबी किरण कल आयेगी
रोशनी फिर से जहां पर छायेगी
ये हवा नव गीत फिर से गायेगी
मुदित बदली नीर मृदु बरसाएगी
भ्रमों के फेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?
घोंसलों से परे एक संसार देखो
स्वप्न उन्मुक्तता के हजार देखो
सजल नेत्रों की करुण पुकार देखो
प्राणियों की आत्मा का प्यार देखो
गमों के डेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?
चल रहा जग फिर भी तुम ठहरे हुए
विकलता के भाव चिर गहरे हुए
खुदी पर खुद के घने पहरे हुए
जबकि मौसम और सुनहरे हुए
जीर्ण बसेरे में हो , बात क्या है ?
दुःख के घेरे में हो , बात क्या है ?