बात का क्या है
इस ‘बात’ का क्या है!!!
कभी मीठी कभी खट्टी,
कभी कसैली तो कभी,
कड़वी भी हो सकती है…
यहाँ हर स्वाद की ‘बात’ है,
यही तो ‘बात’ मे खास है,
पर मन का स्वाद ही मिले,
बस यही ‘बात’ बेकार है…
पसंद की बात जिन्हें मिली,
वो निसंदेह किस्मत वाले हैं,
लेकिन जायके और भी हैं,
जो सामने आने वाले हैं…
तो स्वादों को जाने रखिये,
जानेगें तो आपका मुँह !!!!
बातों के कसैले,कटुक,तीक्ष्ण,
स्वाद को महसूस तो करेगा,
लेकिन???’बनेगा’ नही!!!!
© विवेक’वारिद’*