बात कह दो….!
पक्ष में तुम रहो या कि फिर न रहो,
दिल दुखे जिससे यूँ बात तो मत कहो!
दिल दुखाया किसी बात ने आपका,
कह दो,भीतर-ही-भीतर मगर मत दहो!
बात मन को न भाये उसे छोड़ दो,
बात अच्छी मगर हो सके तो गहो!
वक़्त के ज़िन्दगी में थपेड़े बहुत,
मौन रहकर उन्हें हो सके तो सहो।
जीत तुमको मिले न मिले यै ‘सरस’,
कर्म में ज़िन्दगी अपनी फिर भी नहो!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)