बात करते हैं उनकी, जो पतंग बनाते हैं!
कुछ लोग बड़ी सिद्दत से पतंग बनाते हैं,
कुछ लोग पतंग उडाते हैं,
कुछ पतंग लडाते हैं,
और कुछ पतंग काटते हैं,
कुछ लोग कटी हुई पतंग को पाने के लिए छट पटाते हैं, दौड़ते हैं भागते हैं, और पाने पर खुशी मनाते हैं,
नाचते हैं, झूमते हैं, और फिर डोर से बांधकर उडाते हैं!
पर मै बात कर रहा था उनकी,
जो पतंग बनाते हैं,
जगह जगह से साजो सामान जुटाते हैं,
फिर बड़े मनोयोग से उसे संवारते हैं,
कैसे आकर्षक लगे विचारते हैं,
और बनाने में जुट जाते हैं!
मै बात कर रहा हूं उनकी,
जो पतंग बनाकर आजिविका चलाते हैं,
घर के बीबी बच्चों को इसमें खपाते हैं,
तब जाकर दो-चार पैसे कमाते हैं,
और अपनी घर गृहस्थी चलाते हैं!
मैं बात कर रहा हूँ उनकी,
जो पतंग बनाते हैं तो सिर्फ दो पैसा कमाते हैं,
नहीं इतने तक में सीमित नहीं रह पाते हैं,
बल्कि उसमें स्वयं को समर्पित कर जाते हैं,
विभिन्न आकृतियों के साथ संवारते हैं,
निहारते हैं, सजाते हैं, और फिर दूसरों के हवाले कर आते हैं!
मै बात कर रहा हूं उनकी,
जो इस उम्मीद के साथ,
कि लोग उसे पसंद करें,
खरीद कर ले जाएं,
खुद उडांए,औरों से उडवांए,
लडवांए, काटें,कटवाएं,
पर खरीदकर जरुर ले जाएं,
ताकि हम अपनी घर परिवार का पेट भर पाएं!
मैं बात कर रहा हूँ उनकी ,
जो इसी चक्र में लगे रह जाते हैं,
ना किसी के गिराबां में झांकते हैं,
ना बड़ी बड़ी हांकते हैं,
बस अपने ही दायरे में रह कर ,
खाते हैं पीते हैं , और ऐसे ही मर खप जाते हैं!!
मै बात कर रहा था इनकी ,
जो सिर्फ पतंग बनाते हैं !!