बात और होती है…….
बात और होती है…..!!
किसी के पलकों से निंदे चुराना तो और बात है …!
किसी के इंतजार मे पलकें बिछाने की बात कुछ और होती है..!
किसी को पा कर खो देना तो और बात है…!
किसी को न पा कर भी पाने की बात कुछ और होती है..!
किसी के चाहत की चाहत का हौसला रखना और बात है..!
किसी के चाहत के लिए हौसले से आगे निकलने की बात कुछ और होती है..!
किसी के प्यार मे सबकुछ लुटाना और बात है…!
किसी के प्यार मे खुद को मिटाने की बात कुछ और होती है..!
किसी का बेबफा होना तो उसका फितरत होता है..!
उसके बेबफाई पर भी प्यार जताने की बात कुछ और होती है.!
किसी से गिला ना कोई शिकायत रखना और बात है “विनोद”
दिल के जख्मों को दिल मे छुपाये रखने की बात कुछ और होती है.
विनोद सिन्हा-“सुदामा”