बातें !सभी कर लेते हैं
छंद मुक्त रचना
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बातें
सभी कर लेते हैं
बातों का असर
सिर्फ तब होता है
जब तदनुसार
कर्म भी दिखते हैं.
बातें
याद नहीं रखते हैं कुछ लोग
क्या कहा था
अक्सर भूल जाते हैं.
परिणाम?
छवि ख़राब
छवि ख़राब तो बात ख़राब
बात ख़राब तो हवा ख़राब
हवा ख़राब तो जिंदगी निरर्थक.
जिंदगी निरर्थक तो मनुष्य कैसे?
बातें
यक़ीनन
बहुत जरुरी हैं
लेकिन उतनी ही
जितनी जरुरी हैं
फालतू बातें
अक्सर सुनी जाती हैं
लेकिन नहीं सूनी जाने के बराबर
ज्यादा बात करनेवाले
अपनी फालतू बातों के कारण ही
दुनिया में
फालतू मान लिए जाते हैं.
बातें
कर्म से नहीं मिलतीं तो
उन पर गौर नहीं होता
गौर नहीं होता तो
बोलना निरर्थक हो जाता है.
निरर्थक चीज का
होना न होना
कोई मायने नहीं रखता.
बातें
सार्थक हों
बातों पर अम्ल हो
तो बातों का महत्त्व
बढ़ जाता है
महत्वपूर्ण बातों के लिए
ज़माना याद करता है
अच्छी बातें करें
अच्छी बातें
जीवन में
सदैव काम आती हैं.
खेल ही सारा कथनी का है
यदि अंतर न हो
कथनी-करनी में
तब! हम वो बनने लग जाते हैं
जो हमें होना चाहिए था.
बातें
जरुरी हैं
अंतर नहीं हो
कहने और करने में
बातें सभी करते हैं
किसी की बातें-बातें ही नहीं होतीं
बातें करें इसीलिए
बातों की तरह
बातें
जो सार्थक सन्देश देती हैं
बातें
जिनसे बहुत बड़े-बड़े
जनहितैषी
कार्य-योजनाएं
सफल हो जाती हैं.
बातें
जरूर करें
करने जैसी
अंतर पाट डालें
कथनी और करनी का
बन जाएँ आदर्श पुरुष
सभी के लिए.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित