बातें खरी-खरी
करना जन गुमराह भी,एक बड़ा अपराध।
सही दिशा तू दीजिए,रख जीवन को साध।।
देना सच्चा साथ भी,प्रभु पूजा है एक।
जैसे सुंगध पुष्प की,शोभा बनती नेक।।
पूँजी पैसा ही नहीं,पूँजी है व्यवहार।
धन खर्चा जाए यहाँ,है व्यवहार अपार।।
प्रीतम मिलजुल रह यहाँ,जीवन के दिन चार।
मुख पर रख मुस्क़ान तू,दिल में रख बस प्यार।।
साहस से कर काम को,पाएगा तू जीत।
रोकर करना काम को,होता नहीं पुनीत।।
शरीर पहला मित्र है,देना इसका साथ।
लापरवाही की अगर,ख़ुशी नहीं फिर हाथ।।
कमियाँ ख़ुद की ख़ोजिए,करिए सही सुधार।
सौ ख़ुशियों का राज है,जीत-सिला आधार।।
निंदा करना ठीक है,करिए उचित विचार।
जीवन सुधरे मीत का,सदा रहे उपकार।।
कमियाँ सुनना सीखिए,देना निंदक दाद।
जीवन सुधरे आपका,रखो हमेशा याद।।
हमशा कोई है नहीं,रखना ऐसी सोच।
भ्रम के सिवाय कुछ नहीं,ला जीवन में लोच।।
आर.एस.बी.प्रीतम
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