Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2022 · 1 min read

बाती

दीप आज
जल न पाया
बुझ न पाया,
रोशनी भी दे न पाया
कसमसाया
फ़कफ़काया
खो गयी है कौन, उसकी
सिर्फ बाती।

खा गयी उसको
रूपहली
निष्ठुर सी,
अमावस की सखी
अब एक प्रेयसी
लौ दिया की।

हो गयी
पतिता,
निराश्रित सी,
ले रूप अब छोटा,
बिचारी
आज बाती।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 265 Views
Books from Dr. Girish Chandra Agarwal
View all

You may also like these posts

सवैया
सवैया
Rambali Mishra
अव्यक्त प्रेम (कविता)
अव्यक्त प्रेम (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
बस चार है कंधे
बस चार है कंधे
साहित्य गौरव
प्रॉमिस divas
प्रॉमिस divas
हिमांशु Kulshrestha
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
पूर्वार्थ
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
Sonam Puneet Dubey
परिस्थितीजन्य विचार
परिस्थितीजन्य विचार
Shyam Sundar Subramanian
"शक्तिशाली"
Dr. Kishan tandon kranti
श्मशान
श्मशान
श्रीहर्ष आचार्य
घट भर पानी राखिये पंक्षी प्यास बुझाय |
घट भर पानी राखिये पंक्षी प्यास बुझाय |
Gaurav Pathak
बूँदे बारिश की!
बूँदे बारिश की!
Pradeep Shoree
कभी कभी
कभी कभी
Sûrëkhâ
तबो समधी के जीउ ललचाई रे
तबो समधी के जीउ ललचाई रे
आकाश महेशपुरी
आवारा
आवारा
Shekhar Chandra Mitra
4490.*पूर्णिका*
4490.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर दुआ में
हर दुआ में
Dr fauzia Naseem shad
Kavita
Kavita
shahab uddin shah kannauji
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
Ajit Kumar "Karn"
हिय–तरंगित कर रही हो....!
हिय–तरंगित कर रही हो....!
singh kunwar sarvendra vikram
अन्तस के हर घाव का,
अन्तस के हर घाव का,
sushil sarna
इक आदत सी बन गई है
इक आदत सी बन गई है
डॉ. एकान्त नेगी
मजहबों की न घुट्टी...
मजहबों की न घुट्टी...
अरशद रसूल बदायूंनी
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जय हो माँ भारती
जय हो माँ भारती
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जीना भूल गए है हम
जीना भूल गए है हम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
Swami Ganganiya
दिन ढले तो ढले
दिन ढले तो ढले
Dr.Pratibha Prakash
🙅एक क़यास🙅
🙅एक क़यास🙅
*प्रणय*
Loading...