बातन में बाद बदोरौ
बातन में बाद बदोरौ भयौ, साजन नें जमकें हम कूटे।
हाड़ हड़ेली तोरि दई सब, कर गुमान ऊपर तें रूठे।
कहा कहूँ कछु कहत न आबै, भाग हमारे गये सखि फूटे।
समरथ कौं नहि दोष कछू, बागन के फल हमरे फिर लूटे।
मार कूट कें क्रोध घट्यौ, साजन मन में अति सकुचायौ।
बारिहं बार सजल भईं अँखियाँ, प्रेम सौं मोकौ कंठ लगायौ।
दूखते अंगन कूँ सेक दयौ, अपने ही हाथन फिर लेप लगायौ।
भये दुखी अति कें सजना, हर्द मिल्यौ मोहि दूध पिलायौ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा ‘दादू,।