बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
पलभर भी फिरते नहीं, इधर तुम्हारे नैन।।
चंदा तारों में रमा, तकती राह चकोर।
फेर मुँह एक बार तो, देखे उसकी ओर।।
© सीमा अग्रवाल
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
पलभर भी फिरते नहीं, इधर तुम्हारे नैन।।
चंदा तारों में रमा, तकती राह चकोर।
फेर मुँह एक बार तो, देखे उसकी ओर।।
© सीमा अग्रवाल