बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
इत्र लगे काग़ज के फूल यहाँ लुभाते बहुत है।
ये यहाँ के तौर तरीके हैं इन्हे यही भूल कर जाओ,
वरना नज़र के इशारे रात में सताते बहुत है।
राजेन्द्र “राज”