Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2024 · 1 min read

बाज़ीगर

मौत से खेलते बाज़ीगरो को आपने
देखा होगा,
कभी सर्कस में ,कभी सड़क पर मजमा लगाते,
कभी मौत के कुएँ में मोटरसाइकिल चलाते
देखा होगा,

ये वो जाँबाज़ है जो रोज़ मौत से खेलते हैं,
हर दिन मौत से खेल कर कर उसे दग़ा देते हैं,
पेट की खातिर ज़िंदगी दांव पर लगा देते हैं,

नहीं है उन्हें मौत का उतना खौफ़,
जितना है उन्हें अपना और अपने बच्चों के भूखे पेट मरने का खौफ,

उन्हे मंज़ूर है दो पल हंसती खेलती ज़िंदगी के,
ब़निस्ब़त हज़ार पल सिस़कती भूख़ से तड़पती ज़िंदगी के।

1 Like · 53 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

"कैद"
ओसमणी साहू 'ओश'
दीप जलाएँ
दीप जलाएँ
Nitesh Shah
"आँखरी ख़त"
Lohit Tamta
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
कुछ पल गम में
कुछ पल गम में
पूर्वार्थ
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चीर हवाओं का सीना, इस पार आए हैं
चीर हवाओं का सीना, इस पार आए हैं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" रंग-तरंग "
Dr. Kishan tandon kranti
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
Sonam Puneet Dubey
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
दिन और हफ़्तों में
दिन और हफ़्तों में
Chitra Bisht
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
बाण माताजी
बाण माताजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हे ! निराकार रूप के देवता
हे ! निराकार रूप के देवता
Buddha Prakash
आदमीयत चाहिए
आदमीयत चाहिए
महेश चन्द्र त्रिपाठी
अपना हिंदुस्तान रहे
अपना हिंदुस्तान रहे
श्रीकृष्ण शुक्ल
पंकज दर्पण अग्रवाल
पंकज दर्पण अग्रवाल
Ravi Prakash
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
Family.
Family.
Priya princess panwar
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
Dhirendra Singh
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
सोच समझ कर वोलो वाणी रे
सोच समझ कर वोलो वाणी रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मन वैरागी हो गया
मन वैरागी हो गया
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
Paras Nath Jha
दोस्ती : कल और आज
दोस्ती : कल और आज
Shriyansh Gupta
"प्रेम"
शेखर सिंह
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
AJAY AMITABH SUMAN
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
शिव प्रताप लोधी
তুমি আর আমি
তুমি আর আমি
Sakhawat Jisan
अंत
अंत
Slok maurya "umang"
Loading...