“बाजरे का जायका”
“बाजरे का जायका”
बेसब्री से मीनू पूनिया तो करती
सर्द ऋतू के मौसम का इंतजार
जब धुंध थोड़ी सी आने लगेगी
आएगी तभी बाजरे की बहार,
गांव वालों का पसंदीदा भोजन
बाजरे की रोटी सबके मन भाती
लकड़ी, उपलों से आग जलाकर
मीनू चूल्हे पर गरम रोटी बनाती,
चूल्हे की बेवंडी से निकलते ही
गरम रोटी हम थाली में सजाते
गाजर के रायते का स्वाद अलग
अलूणी घी में रोटी चूर कर खाते,
राज की पसंद बाजरे की खिचड़ी
घणा सारा घी डाल मिलकर खाते
दही संग रोटी और खिचड़ी सुबह
रानू रोमी भी खुश हो कर खाते।