#बाउंसर :-
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■ जो हुआ, हमने किया…!
【प्रणय प्रभात】
आपको वो लतीफ़ा तो याद ही होगा। पहली बार ट्रेन में सवार एक देहाती ने देशी घी की केटली ट्रेन रोकने वाली चैन से लटका दी। ट्रेन रुकने पर जब बाक़ी यात्रियों ने इसकी वजह केटली को बताया तो देहाती तुरन्त इसे अपने घी की ताक़त बताकर उछलने लग गया। यही हाल हमारे आपके छुटभैये नेताओं का है। जो इसी तरह किसी भी काम को अपनी उपलब्धि मान कर नाचने लगते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि कई काम प्रोटोकॉल और प्लानिंग के तहत भी होते हैं। ख़ास कर चुनावी साल में। फिर चाहे वो “लॉलीपॉप ब्रांड” हों या “झुनझुना छाप।”