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12 Feb 2024 · 1 min read

बांते

भीगती जाती हैं,
आपस की
बातें भी,
काफी चाय और
शिकंजी
की तरावट में,
बातें , घुलती जाती हैं,
हंसी- खुशी सहानुभूति के
रंग और रस में,
कहने वाले से अधिक,
सुनने वाले की,
उत्सुकता से
संपूर्ण होती हैं,
सारी बातें।
बातों में से ही,
जब जब निकल आती है
इक नयी सी बात।
तब उभरता है,
बातों का ,
इन्द्रधनुष।
तब,
बातें ही,
थाम कर संवार देती हैं।
रिश्ते और बंधन ।

डा. पूनम पांडे

Language: Hindi
2 Likes · 226 Views
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