बाँध
दलबीर जी बाँध तुड़वाओ–बादल
—————————————-?
आया है सावन अब झूमके,बारिश ने ली अँगड़ाई।
कमरों में पानी भरने लगा,नेहा जी भी घबराई।।
सौन्दर्य-कक्ष डूब ना जाए,दलबीर जी बढ़े रक्षा को।
ऊँचा फिर एक बाँध बनाया,डूबने न दिया कक्षा को।।
बादल भैया जी रूठ गए,गर्मी की फिर बारी आई।
सोलर शिष्टम ने नाक चढ़ाया,सबकी हुई खूब खिंचाई।
बाँध खड़ा है सीना ताने,बादल सबपे हँसता है।
बच्चे गुरुओं की वाट लगी है,मौसम ताने कसता है।।
दलबीर जी बाँध तुड़वाओ,तब धरती पर आउँगा।
मैं भी सुनलो दिल रखता हूँ,फ़ैशियल खूब करवाऊँगा।।
तुम क्यों जलते हो मुझसे अरे!मेरे भी तो अरमान हैं।
नेहा मैडम का मैं फ़ैन हूँ,पढ़ने को हसरतें जवान हैंं।।
–आर.एस.प्रीतम
दिनांक:10/08/2019