बह्र – 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
काफ़िया -आर
रदीफ़ – से
2122 2122 212
गिरह-
आ रही ठंडी हवा उस पार से।
हो गए मौसम भी कुछ बीमार से।
१)
दिल लगाया भी तो इक अय्यार से।
हम दिवाने और वो हुशियार से।
२)
बेबसी भी खूब कुर्ब़त का सबब
रो भी ना पाये गले लग यार से।
३)
तीर खंजर और ना तलवार ली
मार डाला मुस्कुराकर प्यार से ।
४)
जब से चाहत हो गये कान्हा मिरी
हो गयी हूँ पार हर मझधार से।
५)
मस्तमौला कृष्णमय ‘नीलम’ हुई,
अब नहीं कुछ वास्ता ग़ुल -खा़र से।
नीलम शर्मा ✍️
*कुर्बत -रिश्ता, सम्बन्ध, संपर्क, लगाव
*सबब -कारण