बहोत दिन ठहर के आरहे हो क्या
बहोत दिन ठहर के आरहे हो क्या
अपने गांव घर से आरहे हो क्या
बहोत तिजारती लहजे में गुफ्तगुं कर रहे हो
किसी शहर से आरहे हो क्या
तुम्हारा अंदाज भी उसके जैसा है
तुम भी उधर से आरहे हो क्या
लुटे हूए सुल्तान जैसी हालत लग रही है तुम्हारी
क्या , दफ्तर से आरहे हो क्या
लगता है सफर लंबा भी है जरुरी भी है तनहा भी है
कब से , दोपहर से आरहे हो क्या