बहे चलो जब तक किनारे ना मिलें……….
बहे चलो जब तक किनारे ना मिलें
साहिल के बेशक़ इशारे ना मिलें
मुझे इक आसमाँ काफ़ी है सर पे
नहीं शिक़वा चाँद सितारे ना मिलें
ख्वाब तो ढूँढ लेते हैं ठिकाने
कभी किसी को ये बंजारे ना मिलें
न खुशी की आरज़ू ए सनम हमें तो
तेरे ग़म के भी सहारे ना मिलें
गुम हो किस ख्वाब में मेरी आँखो
निशान किसी राह तुम्हारे ना मिलें
मिले बहुत से लोग रह-ए-जिंदगी में
ये सच है तुमसे प्यारे ना मिले
करूँ बयां कैसे सूरत मैं तेरी
‘सरु’ को जहाँ में इस्तियारे ना मिलें
suresh sangwan(saru)
इस्तियारे–similies