Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2020 · 2 min read

बहूरानी

अरे नही…ये क्या कर रही हो ? सुमित्रा के विवाह को पंद्रह दिन हो चुके थे घर मेहमानों से खाली हो चुका था , उसने सोचा आज मम्मी ( सासू जी ) के कमरे में चल कर उनके पैर दबा आती हूँ इतने दिनों से उनको लगातार काम करते देख रही थी…बहुत सौम्य और मधुर भाषी महिला के रूप में उनका व्यक्तित्व दिखाई दे रहा था उसको । कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो अंदर से मम्मी की आवाज़ आई ” अरे कौन है भाई जिसको मेरे कमरे को खटखखटाने की ज़रूरत पड़ गई ? ” सुमित्रा को सामने देख मुस्कुरा कर बोलीं ” अच्छा तो ” बहुरानी ” तुम हो ” आओ – आओ सुमित्रा उनके बिस्तर पर पैरों की तरफ बैठ गई और बैठते ही पैर दबाने के लिए हाथ पैरों पर लगा दिये तभी सासू जी उसका हाथ हटाते हुये बोल पड़ीं ” अरे नही…ये क्या कर रही हो ? सुमित्रा डर गई ये देख सासू जी बोलीं ” देखो ” बहुरानी ” तुम मेरी बहु और मैं तुम्हारी सास और हमेशा यही रिश्ता रहेगा ” एक बात बताओ मुझे क्या माँ – बेटी बनना ज़रूरी है ? हम सास – बहु बन कर प्रेम से नही रह सकते ? और हाँ ये जो तुम मेरे पैर दबाना चाह रही हो इसकी इजाजत तो मैं कत्तई नही दे सकती मैने कुछ काम बाँट रखे हैं और ये काम मेरे बेटों का है…ये जो बहु के साथ रानी जोड़ा है सिर्फ बुलाने के लिए नही उस शब्द का सही अर्थ सार्थक करने के लिए , अब तुम जाओ और अपने देवर को मेरे कमरे में भेज देना ये कह कर सासू जी ने सुमित्रा का माथा चूम लिया ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 766 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak
वक्त
वक्त
Jogendar singh
हिन्दी पर नाज है !
हिन्दी पर नाज है !
Om Prakash Nautiyal
कर
कर
Neelam Sharma
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
"प्रेम -मिलन '
DrLakshman Jha Parimal
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
Neelam Kumari
"पत्थर"
Dr. Kishan tandon kranti
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
gurudeenverma198
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पिता की इज़्ज़त करो, पिता को कभी दुख न देना ,
पिता की इज़्ज़त करो, पिता को कभी दुख न देना ,
Neelofar Khan
3082.*पूर्णिका*
3082.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
ruby kumari
कभी तो फिर मिलो
कभी तो फिर मिलो
Davina Amar Thakral
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
Ravi Prakash
नंद के घर आयो लाल
नंद के घर आयो लाल
Kavita Chouhan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
ज़रूरी नहीं के मोहब्बत में हर कोई शायर बन जाए,
ज़रूरी नहीं के मोहब्बत में हर कोई शायर बन जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर चाह..एक आह बनी
हर चाह..एक आह बनी
Priya princess panwar
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
शेखर सिंह
■ आज का विचार...।।
■ आज का विचार...।।
*प्रणय प्रभात*
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
SHAMA PARVEEN
मछली कब पीती है पानी,
मछली कब पीती है पानी,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
वंदेमातरम
वंदेमातरम
Bodhisatva kastooriya
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
Loading...