बहुमत
बहुमत
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बुराई ने अच्छाई से कहा कि,
अनसोशल मत बनो,
लोकतंत्र में मेरी ही बहुमत है,
मैं सोशल हूँ,
मेरी जमात में शामिल हो जाओ,
और सामाजिक न्याय का,
नारा बुलंद करो,
मेरा विरोध तेरे हित में नहीं है,
मैं हूँ कलियुग का रावण,
तेरी निष्ठा का कर लूंगा हरण।
यहाँ राजपाठ सब चलता है,
बहुमत के हिसाब से,
देख लो,_
आजादी के इतने दिनों बाद भी,
बहुसंख्यक आरक्षण के भ्रमजाल में मोहित है,
और अल्पसंख्यक बस मदरसा ज्ञान में हर्षित है।
आजादी तो मिली सन सैंतालिस में ही,
लेकिन समान शिक्षा, समान नागरिक कानून,
बहुमत के हिसाब से फिट नहीं बैठी ,
इस बहुमत के खेल में बस पिसती जनता,
सारी सुख-सुविधाओं से वंचित हुई ,
बहुमत की चाह लिए दिल में,
एक दल दूसरे को कोस रहा !
दोनों के गांठे बंधे ऊपर,
सत्य क्यों है आज दम तोड़ रहा।
इसलिए तुमसे, मैंने ये अर्ज़ किया है,
मेरी जमात में आ जाओ,
अच्छे- बुरे का भेद छोड़ो,
बहुमत का दिल बहला जाओ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि -१५ /०९/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201