बहुत हुशियार हो गए है लोग
बहुत हुशियार हो गए हैं लोग।
हमसे बेजा़र हो गए हैं लोग।
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झूठ कहते हैं देखकर सच को।
बहुत लाचार हो गए हैं लोग।
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जो बनाते हैं सांप रस्सी का।
ऐसे अखबार हो गए हैं लोग।
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अब गु़लामी में नफ़्स के देखो।
फ़रमाबरदार हो गए हैं लोग।
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क़त्ल कर देते हैं मजलूमों का।
कितने बेकार हो गए हैं लोग।
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“सगी़र” इंसाफ की तमन्ना में।
अब तो संगसार हो गए हैं लोग।