132. बहुत हुआ बर्बाद मैं
दिन महीने साल न जाने,
कैसे किया बर्बाद मैं ।
दिन दुपहरी रात तक,
खूब किया आराम मैं ।।
अब कौन मुझसे खुश रहा,
कौन मुझसे था दु:खी ।
मुझसे सच सच कहने वाला,
ऐसा कोई न मिला सखी ।।
अब छोड़ो उन सब बीती बातों को,
उसे याद भी करना हमें गुनाह लगता है ।
कहने को तो सब मेरे हैं ही अपने,
पर अब सब परायों जैसा ही दिखता है ।।
याद है मुझे जहाँ तक,
वो आपबीती तुम्हें बताता हूँ ।
दिल का सच्चा हूँ इसलिये,
मैं कुछ भी नहीं छिपाता हूँ ।।
कौन मुझसे आगे निकला,
कौन मेरे पीछे रहा ।
इन सबमें कभी भी अपना,
दिमाग न किया खराब मैं ।।
किसको कितना सुख दिया
किसको कितना दुःख दिया ।
ऊपर वाला रब ही जाने,
इसका किया नहीं हिसाब मैं ।।
दिन महीने साल न जाने,
कितना किया बर्बाद मैं ।
इस दिन दुपहरी रात में अपनी,
अब नींद भी किया हराम मैं ।।
याद है मुझे जहाँ तक,
वो तुम्हें बतलाता हूँ ।
अपना समय किया बर्बाद मैं,
इसलिये पछताता हूँ ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 15/04/2021
समय – 03 : 26 (सुबह)
संपर्क – 9065388391