बहुत ही खूबसूरत है
* गीतिका *
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बहुत ही खूबसूरत है सभी का मन लुभाता है।
उजाला रात में जब चाँदनी का फैल जाता है।
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नज़र के तीर मत छोड़ो कहीं दिल में न चुभ जाएं,
लिए टूटा हुआ दिल आदमी आँसू बहाता है।
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न कोई कष्ट हो तुमको मुझे अपनी नहीं चिन्ता,
इसी खातिर सदा अपने पलों को वह बिताता है।
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खिले मुस्कान ओंठों पर यही चाहत लिए मन में,
कभी खिलता हुआ ले फूल जुल्फों को सजाता है।
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हमेशा वक्त जीवन में नहीं है एक सा रहता,
बहारों का सुखद मौसम मुहब्बत भी जगाता है।
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कभी आने नहीं देता निराशा का तमस मन में,
पथिक संघर्ष करता पग बढ़ाता मुस्कुराता है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य