बहुत सहा है दर्द हमने।
हम पर हो करम इतना खुदाया कि जख्म भरने लगे।
बहुत सहा है दर्द हमने कि अब कुछ कम होने लगे।।1।।
तेरे हर दर पर जाकर दुआएं की है खुदाया हमनें।
भेज कोई शिफा जो जख्म पर मरहम बनके लगे।।2।।
तवक्को तूझसे ही है खुदा तू ही है हर मर्ज की दवा।
मिले तो हम बहुतों से पर तेरे सिवा सब बेरहम से मिले।।3।।
तू दरिया दिली का समंदर,सब कुछ है तेरे अंदर।
गर तू चाहे खुदा तो सेहरा भी गुलशन बनके महके।।4।।
किससे बताएं हम हाल दिल ए अपना इस जहां में।
जिससे भी ये दिल लगाया हमने वो सब बेवफा सनम निकले।।5।।
बड़ी मुहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए।
रखा था ख्याल उनका जैसे बच्चा कोई शिकम में पले।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ