*बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का (हिंदी गजल/ गी
बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का
किसी को दे दिया बटुआ, किसी को बैग नोटों का
2
बड़े लोगों से तो सेटिंग में, दिक्कत कुछ नहीं आई
मगर ईमान पक्का था, न जाने कैसे छोटों का
3
बदल लेते हैं अपनी पार्टियॉं, जो जन चुनावों में
भरोसा कीजिए मत ऐसे, बेपेंदी के लोटों का
4
चुनावों का है मतलब खेल, अब शतरंज का केवल
बिछाने का हुनर यह जातियों-मजहब की गोटों का
5
बहुत कुछ होता है कालोनियों के भव्य फ्लैटों में
मगर इनमें मजा सावन के, कब झूलों के झोटों का
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451