*बहुत मिलेंगे खुशियों में जहर घोलने वाले*
बहुत मिलेंगे खुशियों में जहर घोलने वाले
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बहुत मिलेंगे खुशियों में जहर घोलने वाले,
पर मिलते नहीं हैं गमों का भार तौलने वाले।
नहीं रहा किसी में भी कुछ पचाने का मादा,
हमराज भी देखे अक्सर राज खोलने वाले।
किस पर कर यकीन करें हम दिल की बातें,
सच छिपा बगल में मिले हैं झूठ बोलने वाले।
सीनाजोरी की बात करने वालों को देखा है,
मिल जाएंगे वही पीठ पीछे छूरा घोंपने वाले।
पग पग पर साथ देने का करने वाले वायदे,
मौकापरस्त हो मिलेंगे वो साथ छोड़ने वाले।
मिल जाएंगे रिश्तों को तोड़ने वाले मनसीरत,
बहुत कम मिलते यहां दिलों को जोड़ने वाले।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)