बहुत भगा लिया……
बहुत भगा लिया, तूने ए जिंदगी!
कुछ पल का, अब तो ठहराव दे!!
होंगे गिले-शिकवे तुझे भी, मुझसे!
सबब से पार पाने,पतवार ए नाव दे!!
कठपुतली हैं हर इंसां,रब तेरे हाथों की!
दे सजा गुनाहों की,न इतने पथराव दे!!
झुलस गई हूँ, मैं भी गमों की लपटों से!
चंद पलो की सही, खुशियों की छाँव दे!!
रीत गई गर नेकी, बही-खाता जीवन से!
बांटू खुशियाँ दूजों संग,इतना बस चाव दे!!
नासूर बन गया मन,मेरा सतत जख़्मों से!
लगा मरहम वक्त का,या संग सारे घाव दे!!
सज़दा करूँ भाल धरूँ,चरणों में प्रभु तेरे!
लगा दे पार नौका, अब तो यूँ न बहाव दे!!
बची राह न पास, शिवा कोई ईश्वर तेरे!
भटकती जिंदगी को सहारा,तू ही पड़ाव दे!!
रेखा”कमलेश ”
होशंगाबाद मप्र