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28 Feb 2024 · 1 min read

-बहुत देर कर दी –

मेरे चेहरे से कफन को हटा के
जरा दीदार तो कर लो
बंद हो चुकी हैं वो आँखे
जिसे तुम रूलाया करते थे !!

बुझ गया आज वो दीपक
इस जिस्म का तुम्हारे सामने
जिस पर कभी तुम भी
बड़ा नाज किया करते थे !!

जीने के ढंग को सिखाया था
कभी इस दिल ने तुम्हे
तब नहीं आये जब लौ के
यह दीपक जला करते थे !!

आत्मा ने तो बिछड़ना है
इस पर किस का जोर है
जब आँखें खुली थी मेरी
तब तुम नहीं मिला करते थे !!

जाने दो अब मृत जिस्म को
इस की मोहोब्बत बेमानी हो गई
जब तूफ़ान था इस मन में उतना
तब कभी तुम थामा नहीं करते थे !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
2 Likes · 173 Views
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
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