बहुत दिन हुए अब तो चले आओ
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बहुत दिन हुए अब तो चले आओ।
मुहब्बत में इतना हमें ना तड़पाओ ।
राह खड़ी हूँ बन के फरियादी,
विरह की अग्नि में यूँ ना जलाओ।
तेरी ये सजनी तो तप्ती मरू है,
बुझा दो हिया की अगन ना सताओ।
सुना है मेरे मन का कोना – कोना,
आकर के गुंजा वफा का खिलाओ।
हम दासी हैं तेरे जन्मों जनम से,
आकर सजन मोहे गरवा लगाओ।
गम – ए जुदाई अब सहा नहीं जाता,
फिर से दीप मधुर मिलन का जलाओ।
??????-लक्ष्मी सिंह ?☺