Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Mar 2023 · 1 min read

बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।

मुक्तक – पुस्तक मेला

बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।
संग सहेली आफिस के सब, पहुंचे पुस्तक मेले में।
चाट पकौड़े खाए, पूरी मौज हुई क्या मेला था,
दूर किताबों से सब थे, जो आए पुस्तक मेले में।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all
You may also like:
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
gurudeenverma198
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
जब निहत्था हुआ कर्ण
जब निहत्था हुआ कर्ण
Paras Nath Jha
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
Ajit Kumar "Karn"
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
Otteri Selvakumar
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
पंकज परिंदा
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
आर.एस. 'प्रीतम'
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
"सर्वाधिक खुशहाल देश"
Dr. Kishan tandon kranti
आज मेरिट मजाक है;
आज मेरिट मजाक है;
पंकज कुमार कर्ण
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
manjula chauhan
3242.*पूर्णिका*
3242.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इसके जैसा
इसके जैसा
Dr fauzia Naseem shad
“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
DrLakshman Jha Parimal
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मैंने अपनी तन्हाई में
मैंने अपनी तन्हाई में
Chitra Bisht
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विजय कुमार अग्रवाल
साथी है अब वेदना,
साथी है अब वेदना,
sushil sarna
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
।।
।।
*प्रणय*
तू नहीं चाहिए मतलब मुकम्मल नहीं चाहिए मुझे…!!
तू नहीं चाहिए मतलब मुकम्मल नहीं चाहिए मुझे…!!
Ravi Betulwala
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
ऐ सावन अब आ जाना
ऐ सावन अब आ जाना
Saraswati Bajpai
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
Taj Mohammad
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
Ravi Prakash
तुम मुक्कमल हो
तुम मुक्कमल हो
हिमांशु Kulshrestha
Loading...