बहुत जरूरी है
दृढ़इच्छा और मजबूत इरादे, हिंदुत्व के लिए जरूरी हैं।
खुली आँखों से सोतों का अब, जगना बहुत जरूरी हैं।।
आर्यव्रत के आर्यों की अब, जय-जयकार जरूरी हैं।
चिरनिंद्रा में सोये रणबांकुरों का, जगाना बहुत जरूरी हैं।।
भारतवर्ष के वीरों का स्वाभिमान, जगना बहुत जरूरी हैं।
जगने को जो तैयार नहीं हैं, उनका जगना बहुत जरूरी हैं।।
भूल चुके जो धर्म को अपने, उन निर्लोज्जो का आना बहुत जरूरी हैं।
राष्ट्रहित की अलख जलाना, अब तो बहुत जरूरी हैं।।
सोने की चिड़िया का अब, फड़फड़ाना बहुत जरूरी हैं।
ताकत अपनी संपूर्ण जगत को, दिखलाना बहुत जरूरी हैं।।
मंगल तक हम पहुँच चुके हैं, बतलाना बहुत जरूरी हैं।
प्रेम की वीणा बहुत सुनाई, अब मृदंग बहुत जरूरी हैं।।
हिंदुस्तान को हिंदुओं का, अब पेटेंट बहुत जरूरी हैं।
प्रभु बैठे थे टेंट में अब तक, अब मंदिर बहुत जरूरी हैं।।
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“ललकार भारद्वाज”