*बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)*
बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा (गीत)
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बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा
1)
यौवन का क्या है यह तो, जैसे-तैसे कट जाता
ताकत तन में है जब तक, खुद से ही यह मुस्काता
बूढ़े तन को किंतु चाहिए, घर में मधुर सहारा
2)
खुसर-पुसर कर दो बूढ़े, बीती बातें बतियाते
दो तन दुर्बल भी मिलकर, कुछ सबल काम कर जाते
जीता सिर्फ तुम्हारे बल से, थका हुआ मैं हारा
3)
यह तुम ही हो जो मेरे, मन की भाषा पढ़ पातीं
बूढ़े हाथों को संबल, केवल तुम ही पहुॅंचातीं
प्राणवायु मिलती है मन को, सिर्फ तुम्हारे द्वारा
बहुत जरूरी बूढ़ेपन में, प्रियतम साथ तुम्हारा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451