बहुत खामियां रहीं मुझमें
छलक रही है कुछ नमी मुझमें
खल रही है तेरी कमी मुझमें
खामोशियों घर कर गईं मुझमें
टूटा है कुछ ना कुछ कहीं मुझमें
मेरी ज़िन्दगी से तेरे जाने के बाद
बाकी कुछ भी रहा नहीं मुझमें
बस गमों का अंधेरा छाया हुआ है
खुशी की शामें ढल गईं मुझमें
ज़माने भर में जो ठुकरा गया हूं “अर्श”
शायद बहुत खामियां रहीं मुझमें