बहुत कहानी तुमने बोई
बहुत कहानी तुमने बोई
तुमने ढोई, हमने रोई
इतिहासों के शिलालेख पर
पलकें झपकीं, आँखें धोई।।
करते क्यों हो अब कोलाहल
थकी थकी जब आँखें सोई।।
सूर्यकांत
बहुत कहानी तुमने बोई
तुमने ढोई, हमने रोई
इतिहासों के शिलालेख पर
पलकें झपकीं, आँखें धोई।।
करते क्यों हो अब कोलाहल
थकी थकी जब आँखें सोई।।
सूर्यकांत