बहुत उपयोगी जानकारी :-
बहुत उपयोगी जानकारी :-
• दूध ना पचे तो – सोंफ
• दही ना पचे तो – सोंठ
• छाछ ना पचे तो – जीरा व काली मिर्च
• अरबी व मूली ना पचे तो – अजवायन
• कड़ी ना पचे तो – कड़ी पत्ता
• तेल, घी, ना पचे तो – कलौंजी
• पनीर ना पचे तो – भुना जीरा
• भोजन ना पचे तो – गर्म जल
• केला ना पचे तो – इलायची
• ख़रबूज़ा ना पचे तो – मिश्री का उपयोग करें
👉 योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
◆ लकवा – सोडियम की कमी के कारण होता है।
◆ हाई बी पी में – स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करें।
◆ लो बी पी – सेंधा नमक डालकर पानी पीयें।
◆ कूबड़ निकलना – फास्फोरस की कमी।
◆ कफ – फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है। गुड व शहद खाएं।
◆ दमा, अस्थमा – सल्फर की कमी।
◆ सिजेरियन आपरेशन – आयरन , कैल्शियम की कमी।
◆ सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें।
◆ अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें।
◆ जम्भाई – शरीर में आक्सीजन की कमी।
◆ जुकाम – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें।
◆ ताम्बे का पानी – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें।
◆ किडनी – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये।
गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है।
◆ अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।
◆ वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा।
◆ परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।
◆ पथरी – अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है।
◆ RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है।
◆ सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।
◆ पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है।
◆ भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।
◆ HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।
◆ गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।
◆ चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है।
◆ शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है।
◆ वात के असर में नींद कम आती है।
◆ कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।
◆ कफ के असर में पढाई कम होती है।
◆ पित्त के असर में पढाई अधिक होती है।
◆ आँखों के रोग – कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है।
◆ शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए।
◆ प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।
◆ सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।
◆ व्यायाम – वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।
◆ भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।
◆ जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।
◆ निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है।
◆ भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।
◆ दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
◆ माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।
◆ तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।
◆ छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है।
◆ कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।
◆ मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए।
◆ सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।
◆ भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है।
◆ भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें।
◆ अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है।
◆ पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है।
◆ छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।
◆ रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।
◆ हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
◆ एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।
◆ ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें।
◆ मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
◆ अस्थमा में नारियल दें। नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है। दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
◆ चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
◆ दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
◆ गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
◆ जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए।
◆ गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें।
◆ गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।
◆ रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
◆ भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है।
◆ भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
◆ अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
◆ अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
◆ कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
◆ रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
◆ जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
◆ बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
◆ स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है।
◆ भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
◆ सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
◆ रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे – दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
◆ शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
◆ जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
◆ जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
◆ एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
◆ खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
◆ रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ….. अंत में लाल रंग ।
◆ छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
◆ जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
◆ बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
◆ चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
◆ गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
◆ प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है ।
◆ दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।
◆ जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
◆ सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
◆ स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
◆ तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
◆ त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
◆ इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके। –
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संकलन :- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़