बहुतों के जाने का गम ______ गजल/गीतिका
बहुतों के जाने का गम हुआ है।
वक़्त भी अब कुछ नम हुआ है।
पूरी तरह लौटे खुशियां फिर से,
दिन रात मांगते रहते हम दुआ है।।
दौर था मुश्किलों भरा,मानव था डरा डरा।
निभाया साथ सबने,महारोग कम हुआ है।।
जागरूकता _ सजगता अब भी जरूरी हे।
कीड़ा अदृश्य अभी कहां ख़तम हुआ है।।
वक़्त की थी मार,सभी तो थे लाचार।
“प्रकृति”तेरा हम पर रहम हुआ है।।
खोया जिन्हें,उन्हें भूल तो सकते नहीं।
रखना प्रभु शरण अपनी, उन पर सितम हुआ है।।
___राजेश व्यास अनुनय___