बहारों के मौसम में तेरा साथ निभाने चला हूं
बहारों के मौसम में तेरा साथ निभाने चला हूं,
मन मस्ती में प्यार भरे गीत गुनगुनाने चला हूं!!
बारिश से मेरे हौसलों पर फर्क नहीं पड़ता,
एक तेरी उम्मीद की छतरी लिए बढ़ चला हूं !!
गुलाबी मौसम, भीगा समां, और मेरी बेचैनियां,
तेरे इश्क़ में सर-ब-सर होने को बढ़ चला हूं !!
बारिश की रिमझिम फुहार तेरे चेहरे पर आती है,
मेरे दिल को अपनी मीठी बूंदों से भीगा जाती है!!
तू कब तलक़ रहेगी, मेरे नजरों से यूं ओझल,
इश्क़ की भीगी बरसात में तुझ संग भींगने चला हूं!!
ऐ-सावन! तू आज ज़रा झूम झूम के बरस जा,
प्यार की अनकही एहसासों में झूमने चला हूं!!
वो मेरी राह तकती किसी मुंडेर पर बैठी होगी,
सावन के झूलों में उसके साथ बैठने चला हूं!!
अटखेलियां करते ना जानें कितने बरस बीत गए,
बारिश में भीगने, हंसने-खेलने, पीछे दौड़ने चला हूं!!
पंख फैलाए, मगन होकर नाचते मोर की तरह,
मस्ती में सराबोर, खुशी से साथ नाचने चला हूं!!
बारिश का ये मौसम, ये प्यार भरा मौसम है,
तुझसे दिल की प्यार भरी बातें करने चला हूं !!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”