बहाना हो गया
***बहाना हो गया (ग़ज़ल)***
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काफिया-ना***रदीफ़ -हो गया
****2122 2122 212****
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बात करने का बहाना हो गया,
रोज यूँ घर द्वार आना हो गया।
वो बिना कारण कहीं जाते नहीं,
है नया उनका ठिकाना हो गया।
आजकल वो रातभर सोये नहीं,
नींद में सोये तो जगाना हो गया।
हो सदा उनकी रहें बातें यहाँ,
मान कर वादा निभाना हो गया।
जानकर अंजान वो क्यों थे रहे,
टोककर उन्हें सिखाना हो गया।
प्रीत की डोरी फिसलती ही रही,
बीत लम्हों का जमाना हो गया।
खोल मनसीरत यहाँ जो राज है,
बोलकर रास्ता दिखाना हो गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)